एक दूजे से करते प्रेम हम
वर का अपनी भावी वधू को कुछ सुझाव,,,,,,
एक दूजे से करते हैं प्रेम हम
प्रिये! कर लेना तुम, सोलह श्रृंगार,🌷🌷
करता तेरा प्रिय, तुमसे मनुहार।🌷🌷
सर्व प्रथम सौन्दर्य गृह जाना,उत्तम तुम उबटन लगवाना,
तन,मन की थकान मिटा के, धीरे-धीरे निज गृह आना।
संग में कुछ सखियों को रखना,लेना उनसे सेवा अगणित
थोड़ी हंसी, ठिठोली करके, वे रखेंगी तुम्हें प्रफुल्लित,
चंदन जल से स्नान करके,कर लेना अपने अंग सुवासित,
पहन के पीली,लाल चुनरिया, बैठना दर्पण के सम्मुख।
मोतियों से मांग सजाना,माथे पे लगाना इक बिंदिया लाल,
बिंदिया यूं चमकेगी जगमग ,ज्यूं चन्दा चमके ललाट।
बेले का गज़रा जूड़े में,गले में पहनना फूलों के हार,
ओ मेरी मीनाक्षी, अखियों में लगाना कजरे की धार।
नाक में अपने नथ पहनना,कानों में सुन्दर कर्णफूल,
होंठ तुम्हारे सुर्ख लाल, खिलेंगे जैसे गुलाब के फूल।
हाथों में पहनना लाल चूड़ियां,मुंदरियों से सजी उन्गुलियां,
बिछुए, और महावर के संग, पांव में पहनना पैंजनियां।
मेहंदी से सजे तेरे हाथ ,कलाकारी से लिखाना मेरा नाम ,
तेरा नाम भी संग में हो , न लगा सके कोई अनुमान।
कटि में अपने तुम पहनना जरूर, चांदी की करधनियां,
जिसमें बांध कुंजी का गुच्छा,रहोगी तुम मेरे गृह की रनियां।
नख,शिख श्रंगार हो जाने पर,दर्पण में निहारना छवि अपनी,
श्रंगार रस से सुशोभित हो, तुम तनिक लज़ाना मेरी सजनी।
छम छम पायल छनकाती मम् गृह जब आओगी सजनियां,
दिन मेरा मह मह महकेगा,मधु से पूरित मेरी सब रतियां।
करते हैं हम एक दूजे से प्रेम ,मम् तव का है परस्पर नेह।
तुम चाहे जिस छवि में आना,तव भ्रमर करेगा तुमसे प्रेम।
तुम हो मेरी साकार कल्पना ,मेरे नव जीवन की अमृत बिंदु ,
हम दोनों का प्रेम अमर रहे ,जब तक रहे रवि और इंदु।
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अब तुम भी मुझे सुझाव दो,उस दिवस धरूं मैं कौन सा वेश,
पहनूं परंपरागत धोती,कुर्ता,अंगरखा,या आधुनिक लगूं विशेष।
जो तुमको उचित लगेगा ,वही कहना ,वैसा ही मैं करूंगा ,
तेरी आज्ञा शिरोधार्य कर , तव द्वार प्रवेश मैं शीघ्र करूँगा।
स्नेहलता पाण्डेय"स्नेह"
नईदिल्ली
प्रतियोगिता के लिए
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Abhinav ji
12-Dec-2021 11:53 PM
Nice one
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Niraj Pandey
11-Dec-2021 12:05 AM
वाह बहुत ही बेहतरीन रचना 👌
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Shrishti pandey
10-Dec-2021 11:55 PM
Bahut hi sundar
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Sneh lata pandey
10-Dec-2021 11:59 PM
Thanks
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